Sandeep Kumar

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Mumbai, Maharashtra, India
I am not something that happens between the maternity ward and the crematorium.

Thursday 29 March 2012

अभी तलक न तो कुंदन हुए न राख़......!


मैं अचंभित हूँ और विस्मित भी, अजब हैरानी की बात है, कल तलक, जिसको बगैर  सोचे एक पल काटना मुश्किल था, वो आज अचानक सिर्फ अतीत का किस्सा बन कर रह गई है। वो एहसास जो मेरे रेशे-रेशे में स्पन्दित हो रहा था, आज बस एक धुंधली याद से जियादा कुछ भी नहीं। जिस के साथ इक लम्हा बिताने के लिए, मैं व्याकुल हुआ करता था, जिसकी इंतजार में बिताया गया एक-एक क्षण एक-एक युग की मानिंद प्रतीत होता था ..कटे नहीं कटते थे पल इंतज़ार के, ऐसा लगता था मनो समय ठहर गया हो। हृदय की अकुलाहट की क्या कहना , हर पल उकसी एक झलक पाने को अधीर रहता था, जब भी कोई आहट होती थी तो चौंक जाता था, यूँ लगता था जैसे कहीं वो न आई हो.....  उसके भेजे हर पैगाम को सैकड़ो बार पढता था.... फिर भी नहीं उबता था। आठो पहर उसकी यादो की सातत्य बनी रहती थी, आत्मा के पोर-पोर में उसकी संगीत बजती रहती थी.. एक अनुपम मुस्की स्वाधिष्ठान से आविर्भूत होती  रहती थी।  जिससे भी मिलता था मुस्कुरा के मिलता था, चलते-चलते यूँ ही मुस्कुरा उठता था, हमेशा पुलकित रहता था ..राह चलते यूँ लगता था, मनो पैरो में पंख लग गए हो, प्रतीति होता था जैसे  हाथ बढ़ा के तारे तोड़ सकता हूँ। चाहे किसी से भी बात करूँ ,मुदाद्दा कोई भी हो, उसकी तजकिरा किये बगैर बात समाप्त नहीं होती थी...तृप्ति ही नहीं मिलती थी...रात फलक के चाँद-तारों को भी हाले दिल सुनाने से नहीं चूकता था।  हर वक्त हर घडी उसी की  इंतज़ार मे कटता था।  साँस-साँस में उसकी यादो की लड़ी लगी रहती थी ! उसके साथ बिताया गया हर वो पल, हर वो लम्हा मन्नतो वाला वक्त हुआ करता था, मुरदे मुकम्मल होतीं थी ! उसकी जादुई कुर्बत में, मैं खुशबू की शीतल बारिश में नहा जाता था..क्या मादक खुशबू थी..!.घंटो महक से तन-मन सुवासित रहता था .
आश्चर्य है ! आज याद करने पर भी ठीक से याद नहीं आती है।  खुद पर यकीन नहीं आ रहा है, क्या मैं इतना बदल सकता हूँ.... ! सब कुछ बड़ी तेज़ी से बदल रही है, सिर्फ रूप भर ही बदलता तो भी ठीक था, यहाँ तो गुण-धर्म तक बदलते जा रहें है। जीवन की प्राथमिकताएँ बदल रही है, अतीत  रेत की मानिंद हाथ से सरकता जा रहा है ! जब अपने अतीत को सोचता हूँ तो एसा प्रतीत होता है जैसे मैं ने पर्दे पे कुछ देखा हो, जिसका यथार्त से कोई वास्ता नहीं है.....!
यकीन नहीं आता कि वो खुल्दनुमा भाव जो इतनी प्रबल व् प्रगाढ़ थी कि जिसके सामने सारी दुनिया थोथी और झूठी नजर आती थी... आज ख्यालो में भी उसकी अनुभूति मयस्सर नहीं है।
आज फिर से मैं अमल आकाश की भाँति अपने मूल स्थान पर यथावत विधमान हूँ, जैसे कभी कोई सूनामी आया ही न हो, जैसे तूफ़ान जैसी कोई चीज कहीं होती ही नहीं है।  मेरे मन की नीरवता को देख कर ये कतई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि इस मन की आकाश में कभी कोई झंझावात भी उठा था। कितनी ताज़ुब की बात है, कल तलक, हर छब में जिसकी छब झलकती थी, आज वो कैसी दिखती है, ये भी ठीक से याद नहीं है। ये सब कोई सालो पहले की बात नहीं, बामुश्किल चंद रोज़ गुजरे होंगे, एकदम ताज़ा-तरीन वाकया है.... पर पीछे मुड़ कर देखने से लगता है जैसे मुद्दतों पहले हुआ हो ये सब, और वो भी किसी और के साथ। यूँ लग रहा है जैसे मैंने ये सब, बस सुना या देखा हो...जैसे सब-कुछ  किताब में पढ़ी गई हो...कोई अफसान हो.......
विचारों का जगत तो क्षण-भंगुर है ही, भाव का जगत भी कुछ जियादा भरोसे के काबिल नहीं है। विचार और भाव दोनों चलायमान है, देर-अबेर दोनों का विघटन हो जाता है.....विचार ऐसे है जैसे किसी ने पानी पे लकीर खीची हो, बना नहीं की मिट गया, और भाव ऐसे है मोनो किसी ने रेत के महल बनायें हो, खूबसूरत, दिखने में एकदम पत्थर से बना प्रतीत होता हो, पर लहर के आते ही सब लीप-पुत के बराबर......... भाव कुमुदनी के पंखुड़ियों पर टीकी तुहिन कण से जियादा नहीं है....सूरज के आने भर की देर होती है....इधर सूरज आया नहीं की, उधर वो वाष्पिभूत हुआ........
जिन भावों को अभिव्यक्त करने के लिए बेशाख्ता दलीले इकठा किया करता था, कविताएँ गढ़ता था, शब्दों को छंदों में सजाता था, ह्रदय गंगा को आँखों के रास्तें प्रवाहीत करता था, आज वो कभी अपने अस्तित्व में थे भी या नहीं, इसकी प्रतिभिग्याँ करनी दुरभ हो रही है !
रात जब सपना देखता हूँ तो एक बार भी शक नहीं उठता उसकी सत्ता को लेके, सुब्ह जब आँख खुलती है तो जो सामने होता है वही सच लगता है....जीवन की ये पहेली सुलझाये नहीं सुलझ रही है.....चुआन्त्सु की भांति, सोच रहा हूँ की क्या सच है....क्या है सच ??....वो सपना जो मैंने रात देखा था या फिर ये  जो अभी देख रहा हूँ....." रात मैंने सपने में देखा कि.... मैं तितली हो गया हूँ,,,कहीं एसा तो नहीं की तितली सपना देख रही है की में चुआन्त्सु हो गया हूँ ?.."

7 comments:

  1. Are you asking me reality likhi hai....or telling me....?

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  2. तो फिर ठीक हैं.....आगे से मैं झूठ लिखुंगा.......!

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  3. You didn't tell me how you felt total relaxation....!

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  4. what is the meaning of चुआन्त्सु

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